अब उठ चलने का समय है


 “ अब उठ चलने का समय है ”


देखो नया सूरज आया है 

वो रात आख़िर ढल ही गई 
अंत में सब वैसे ही होगा जैसे होना लिखा है 
लिखा है तुमने ख़ुद तुम्हारी हिम्मत की कलम को साधना की स्याही में डुबो कर काल के परचम पर सुनहरे अक्षरों में 
“ हमारी जीत होगी “
ये काल चक्र से निकलने का समय है 


अब उठ चलने का समय है 


देखो व्हाँ दूर आकाश में 
जो रोशनी दिखायी देती है 
वो बस धूप नहीं 
उजाला है हमारे जीवन का 
हम जो थक हार कर रात बैठे थे 
ना ग्लानि में जलने का समय है 


अब उठ चलने का समय है 


पीछे क्यों देखते हो क्या कुछ बचा है खोने को 
कोई साथी , पुराने क़िले रहने को या अवसर रोने को 
पर्वत को देखो अब बादलों का टलने का समय 


अब उठ चलने का समय है 


हमने विघ्नों में बहोत दिन रातें बितायीं हैं 
और सींचा है ख़ुद को हर क्षण 
ढाला है शस्त्र अस्त्र में 
जंजीरों को तोड़ दो शांति के संदेश जला दो 
ये माटी में मिलाने या मिलने का समय  है 


अब उठ चलने का समय है 


इन्हीं आँख़ों से आँधीं बारिश धूप घाम देखा है हमने 
इन्हीं से विजय पताका भी देखेंगे हम 
अब क्षण अंतिम प्रहार का है 
अब रण में ढलने का समय है 


अब उठ चलने का समय है   🚩

Comments

Post a Comment

Popular Posts